नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य देश में एक एकीकृत डिजिटल हेल्थकेयर इकोसिस्टम की स्थापना करना है। इस ब्लॉग में NDHM की संपूर्ण जानकारी, इसके उद्देश्य, मुख्य फीचर्स, लाभ, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा विस्तार से समझाई जाएगी
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नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन क्या है?
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM), जिसे अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के नाम से भी जाना जाता है, 15 अगस्त 2020 को लॉन्च हुआ था। यह स्वास्थ्य मंत्रालय की एक पहल है जिसे नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) क्रियान्वित कर रही है। मिशन का मुख्य लक्ष्य नागरिकों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, अस्पतालों, लैब्स, फार्मेसियों और अन्य हेल्थकेयर सुविधाओं को एक मानकीकृत डिजिटल ढांचे के माध्यम से जोड़ना है
उद्देश्य
- हर नागरिक को यूनिक डिजिटल हेल्थ ID उपलब्ध कराना।
- नागरिकों को अपने स्वास्थ्य डेटा का स्वामित्व और नियंत्रण देना।
- हेल्थ इन्फॉर्मेशन के आदान-प्रदान को सुरक्षित और सहमति आधारित बनाना।
- स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार करना।
- पेपरलेस, कैशलैस और पारदर्शी हेल्थकेयर सेवा प्रदान करना।
प्रमुख फीचर्स
- यूनिक हेल्थ ID: प्रत्येक नागरिक को एक यूनिक हेल्थ ID दी जाती है, जिसमें डिजिटल हेल्थ अकाउंट बनता है।
- डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स (DHRs): व्यक्ति अपने सभी मेडिकल रिकॉर्ड्स डिजिटल रूप में सुरक्षित और कहीं भी उपयोग कर सकते हैं।
- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्ररी (HPR): सभी डॉक्टर, नर्स एवं अन्य प्रोफेशनल्स की डिजिटल लिस्ट, जिससे प्रमाणिक सेवा की पहचान हो सके।
- हेल्थकेयर फैसिलिटी रजिस्ट्ररी (HFR): सभी अस्पताल, क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर आदि की डिजिटल रजिस्ट्रेशन।
- टेलीमेडिसिन एवं ई-फार्मेसी: ग्रामीण क्षेत्रों तक डॉक्टर व दवाईयों की पहुंच को आसान बनाना।
- डाटा सिक्योरिटी और इंटरऑपरेबिलिटी: यूजर के सहमति आधारित सुरक्षित डाटा ट्रांसफर और प्लेटफॉर्म्स के बीच आपसी तालमेल।
प्रमुख लाभ
- अस्पतालों में बार-बार टेस्ट और डॉक्यूमेंट देने की आवश्यकता कम होती है।
- मरीज और डॉक्टर दोनों के लिए समय, पैसे और संसाधनों की बचत होती है।
- स्वास्थ्य डेटा के आधार पर सरकार बेहतर योजनायें बना सकती है।
- मरीज कहीं से भी अपने रिकॉर्ड्स तक पहुंच सकता है और दूसरे डॉक्टर को दिखा सकता है।
- सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में स्वास्थ्य सुविधाओं की अखंडता और पारदर्शिता बढ़ती है।
- मरीज को किसी भी अस्पताल या डॉक्टर से इलाज करवाते समय बार-बार मेडिकल टेस्ट्स या पुराने रिकॉर्ड्स साथ ले जाने की जरूरत नहीं होगी।
- नागरिक अपने स्वास्थ्य डेटा पर पूरा नियंत्रण रख सकते हैं और अपनी सहमति के मुताबिक इसे साझा कर सकते हैं।
- डॉक्टर मरीज के पहले के इलाज, दवाओं, जांच रिपोर्ट आदि की जानकारी तुरंत देख सकते हैं, जिससे त्वरित एवं सटीक इलाज संभव है।
- हेल्थ डेटा का केंद्रीयकरण होने से सरकार को योजनाएँ बनाने, रोग नियंत्रण एवं नीति निर्धारण में बेहतर मदद मिलेगी।
- पेपरलेस, कैशलैस और पारदर्शी स्वास्थ्य सेवा की दिशा में बड़ा कदम है – इससे समय, धन और संसाधन सबकी बचत होती है।
- नागरिकों को देश भर में “वन नेशन वन हेल्थ कार्ड” के द्वारा सुविधा मिल सकेगी, जिससे इलाज की निरंतरता बनी रहेगी।
चुनौतियाँ
- ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की कमी।
- डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दे।
- IT इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता और बजट की सीमाएँ।
- सभी स्टेकहोल्डर्स (डॉक्टर्स, अस्पताल, तकनीकी टीम आदि) का सहयोग प्राप्त करना।
- पैन इंडिया लेवल पर इस मिशन का स्टैण्डर्डाईजेशन, जिससे सभी राज्यों के नियम और केंद्र की नीतियाँ एकसाथ चल सकें।
सरकार की तैयारी और समाधान
- सरकार ने डिजिटल इंडिया और 5G टेक्नोलॉजी के जरिए IT इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है।
- जागरूकता अभियान से डिजिटल हेल्थ सेवाओं के प्रति लोगों में जानकारी बढ़ाई जा रही है।
- डेटा सुरक्षा के लिए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल और ब्लॉकचेन, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- स्टेकहोल्डर ट्रेनिंग और डिजिटल लिटरेसी के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
भविष्य की दिशा
- NDHM स्वास्थ्य सेवाओं को सजग, सुलभ और लाभकारी बनाकर भारत के स्वास्थ्य सिस्टम में क्रांति ला सकता है।
- आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों की पहुंच और डिजिटल लिटरेसी बढ़ाना, सिक्योरिटी को और मजबूत बनाना एवं डेटा इंटीग्रेशन को सरल बनाना मिशन की प्राथमिकताएँ रहेंगी।
निष्कर्ष
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम में बदलाव लाने वाली पहल है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएँ पारदर्शी, पेपरलेस, और यूजर सेंट्रिक बनेंगी। डिजिटल तकनीक के प्रभावी इस्तेमाल से सरकारी और निजी दोनों स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सशक्त होंगी और नागरिकों को उनकी हेल्थ डाटा पर सम्पूर्ण अधिकार मिलेगा।
यह मिशन भारत को हेल्थकेयर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे हर व्यक्ति को समुचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी।
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